(लेख- प्रदीप कुमार पाण्डेय)
भरी जवानी में अपनी माँ के चरणों में,
कर दिया अपने प्राणों का समर्पण,
रहेंगे आप सभी अमर हमारे दिलों में,
अपने शब्दों से करता हुँ श्रद्धा सुमन अर्पण।
भारतीय सेना देश के लिए हमेशा तैयार रहती है, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमले या कर्फ्यू से लड़ने की कोई भी स्थिति हो। कारगिल युद्ध एक ऐसी घटना है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। भारतीय सेना एक माँ की तरह है जो निःस्वार्थ भाव से काम करती है और बदले में कभी कुछ नहीं मांगती है। हमारी सेना के इस वीर बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है, और यह हमें हमेशा प्रेरित करेगा।
कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के सभी देशवासियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। भारत में प्रत्येक वर्ष २६ जुलाई के दिन यह मनाया जाता है। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच वर्ष १९९९ में कारगिल युद्ध लगभग ६० दिनों तक चला और २६ जुलाई के दिन उसका अंत हुआ और इसमें भारत विजय हुआ। कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है।
२६ जुलाई १९९९ का वह दिन जो भारतीय इतिहास के पन्नों में 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में सदा के लिए अमर हो गया है।
इसका कारण कोई नौटंकी कार नहीं थे और ना ही भारत तेरे टुकड़े होंगे नारा लगाने वाले लोग थे।
वे लोग थे भारत मां के सच्चे वीर सपूत जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत मां की सीमाओं में घुसे दुश्मनों को खदेड़ने का काम किया और अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारतीय सेना का लोहा मनवाया था ।
जाति धर्म से ऊपर उठकर उन वीर सपूतों ने 'पहले मैं' के नारे के साथ अपने प्राणों को भारत मां के ऊपर न्योछावर कर दिया।
क्या हम ऐसा नहीं कर सकते कि राष्ट्र से सम्बंधित मुद्दों पर हम जाति धर्म से ऊपर उठ कर एक हो कर राष्ट्र विरोधी ताकतों को सजा दिलवाने का काम करें।
क्या यह भारत माता के वीर सपूतों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि नहीं होगी ?
अपने अपने घरों में बैठ कर और रेड कारपेट पर चल कर हर व्यक्ति पाकिस्तान और चीन से युद्ध कर सकता है लेकिन क्या कभी हमने यह सोचने की कोशिश की कि इन वीर सपुतों और उनके परिवार पर क्या गुजरता है। उनका और उनके परिवार का दर्द प्रकट करने के लिए यह चित्र ही काफी है यदि हमारे पास उनके लिए संवेदना हो और हम उसे समझना चाहते हों।
लेकिन फिर भी वह अपने सभी मनोभावों को दबाकर देश और हम देशवासियों के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।
भारत माता के सभी वीर सपुतों जो वीरगति प्राप्त कर चुके हैं एवं जो अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनको और उनके परिवारजनों का चरणवंदन करता हुँ ।
एक देशभक्त के दिल को एक देशभक्त ही समझ सकते हैं
ReplyDeleteआज का समाज संवेदनहीन हो गया है। आजकल एक नया "गेम" प्रचलन में है "जाति -जाति", जिसे कुछ लोग नोट और वोट के लिए खेल रहे हैं और कुछ लोग सिर्फ मजे के लिए 🙏🙏
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