जो पारिवारिक और सामाजिक परिस्थिति इस समय बनी हुयी है उसमें सदैव संदेह और सजगता हमें बनाये रखना होगा ।
वर्तमान समय में हमारे पारिवारिक सदस्य /रिश्तेदार/मित्र/सहकर्मी/अधीनस्थ में से कोई भी हो जिसपर हम विश्वास करते हों, जिसे अपना मानते हों, जो हमारे साथ हर समय रहते हैं, जिनके साथ हम अपना हर दैनिक काम करते हैं, जिनसे अपना हम लगभग सब कुछ साझा करते हैं, जिनके साथ खाते-पीते, उठते-बैठते हैं ; आवश्यक नहीं है कि उनमें से सभी हमें उतना ही प्यार करते हों जितना हम उन्हें अपना मानकर प्यार करते हैं ! यह सम्भव है कि हमारे साथ रहने वाले लोगों में कुछ हमें बर्बाद करने के उद्देश्य से हमारे साथ रह कर अपना आकार हमारे अनुरुप धीरे-धीरे बढ़ा रहे हों और हम पुर्णतः भावुक होकर उनको दीन हीन समझ कर द्रवित हो रहे हों।
इसलिए हमें वर्तमान परिवेश में सदैव सावधान रहना चाहिए। जिन्हें हम अपने साथ रखे हैं उन पर विश्वास तो हम करें लेकिन इस विश्वास के साथ ही साथ एक संदेह/सजगता का बिन्दु अपने हृदय में सदैव बनाये रखें।
बहुत बढ़िया गुरूजी
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