दूसरों को दुःखी करने का संकल्प करने वाला पुरुषार्थी विफल अर्थात फेल !
हमारे मन में किसी को दुःख पहुंचाने का अगर संकल्प आया तो निश्चित ही ज्ञान की धारणा में हम फेल हो गये। दूसरों को दुःख पहुंचाने का सूक्ष्म संकल्प उठाने वाले के अपने ही मन मे पहले दुःख का अनुभव होता है और बाद में भी दुःख देने के कारण बदले में उसे दुःख ही भोगना पड़ता है । हमें दूसरों को दुःखी करने का संकल्प भी नहीं करना चाहिए। कर्मों का हिसाब किताब बड़ा ही अटल है। इसलिए छोटे मोटे विकर्म करने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जितना सूक्ष्म कर्म होगा उतना सूक्ष्म उसका दण्ड भी अवश्य भोगना होता है। असावधानी से भी अपने विकर्म द्वारा अन्य किसी को दुःख देने के बदले में दुःख पाना पड़ता है। इसलिए सुखदाता की हम वंशावली भी स्वयं सुखी होकर अन्य सभी को भी सुखी करने की सेवा में तत्पर रहना चाहिए, शारीरिक और मानसिक विकर्मो से सदा सावधान रहना चाहिए।
कृपया मेरे युट्युब चैनल 'सुविचार संग्रह' का नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर अवलोकन करें, अपना सुझाव दें तथा विडियो पसन्द आने पर लाईक, शेयर और चैनल को सब्सक्राइब करें।
https://www.youtube.com/channel/UCmkto8JOSwezq3mXDiLgVqw
बढ़िया 🙏
ReplyDelete