गरीबी एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है । यह व्यक्तिगत राष्ट्रीय होने के साथ ही साथ राष्ट्रीय या कहें की अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है तो गलत नहीं होगा । गरीबी को समस्या न कह कर यदि बीमारी या अभिशाप कहें तो शायद अतिशयोक्ति न हो । गरीबी एक ऐसी बीमारी है जो इन्सान को शारीरिक, मानसिक हर तरह से त्रस्त करती है । यह इतनी भयावह है कि इसकी वजह व्यक्ति का पारिवारिक जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा सब कुछ खराब हो जाता है । इसे समाप्त करने के लिए प्रभावी रणनीति बनाकर समग्र समाज का विकास सुनिश्चित करना होगा क्योंकि गरीबी को व्यक्तिगत विकास से नहीं बल्कि सामाजिक विकास से ही दुर किया जा सकता है । गरीबी दुर करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कानून लाये गये अनेक कदम उठाए गये लेकिन इनके कोई ठोस परिणाम प्राप्त नहीं हुए । किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण स्थायी विकास के लिए गरीबी उन्मूलन नितान्त आवश्यक है। गरीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए केवल सरकार को ही नहीं बल्कि प्रत्येक सक्षम व्यक्ति को संगठित होकर कदम उठाना होगा, जिससे देश आर्थिक रुप से सक्षम होकर अन्य समस्याओं के खिलाफ भी सुदृढ़ हो सके।
गरीबी की भयावहता को निम्न पंक्तियाँ प्रदर्शित करने में पर्याप्त हैं--
देने वाले किसी को गरीबी न दे,
मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे।
मेरा नाम राजू जोशी महाराज सोशल वर्कर है मेरी रुचि समाज सेवा में है
ReplyDeleteआदेश करें श्रीमान्
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