हमारे समाज के लगभग प्रत्येक परिवार और संगठन के सदस्यों में कलह और तनाव नें मजबुत स्थान बना लिया है और इस कलह और तनाव का मुख्य कारण है हमारा अहंकार । अधिकांश विवादों का कारण भी हमारा छोटा छोटा अहंकार ही होता है, वर्तमान परिवेश ऐसा हो गया है कि एक व्यक्ति द्वारा दुसरे के अहंकार को ठेस पहुँचा कर परमानन्द की अनुभूति होती है और हमें सबसे ज्यादा क्रोध भी हमारे अहंकार पर आघात पहुँचने पर ही होता है।
अपना अधिकार एक छोटे से छोटे सदस्य को भी याद है लेकिन कर्तव्य किसी को नहीं, कार्य करवाना सब चाहते हैं करना कोई नहीं चाहता, सुनना कोई नहीं चाहता सुनाने को सभी तैयार बैठे हैं, सहनशीलता क्या होती है यह तो किसी को पता ही नहीं है।
किसी के अहंकार पर आघात करके मनुष्य को इतनी खुशी होती है कि वह बहुत बड़े युद्ध पर विजय प्राप्त कर लिया हो । अधिकांश मनुष्य तो ऐसा समझते हैं कि किसी के स्वाभिमान को चोटिल करके बहुत बड़ा सम्मान प्राप्त कर लेता हो, लेकिन इसका परिणाम शर्मशार करने वाला ही होता है।
यह जीवन ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अद्भुत उपहार है आइये ईश्वर के इच्छानुसार इस ईश्वर के उपहार को सजाने सवारने और जीवन को आनन्दमय बनाने के लिए अपने अहंकार को अपने ईष्ट के चरणों में समर्पित करनेक का प्रयास करें।
अपने विकारों को प्रभु को समर्पित कर देना ही ईश्वर की सबसे बड़ी भक्ति है और ईश्वर की इच्छा भी।
Very nice
ReplyDelete