हम अक्सर कहते या सुनते हैं कि समय बहुत बुरा हो गया है, हमारा समाज कितना गन्दा हो गया है! युवक और युवतियां बिगड़ती जा रही हैं। हमारी सभ्यता संस्कृति नष्ट होती जा रही है। चारो और झुठ,लालच, काम वासना,दुराचार,भ्रष्टाचार, लुट पाट, भ्रष्टाचार बढता जा रहा है आदि आदि।
मैं कहना चाहता हुँ कि संसार में केवल बुरे लोग नहीं हैं और न ही केवल बुरा काम हो रहा है, हमारे समाज में अच्छा काम भी हो रहा है और अच्छे लोग भी विद्यमान हैं जो धार्मिक और समाजिक कार्य जरुरत मन्दों की मदद,निःशुल्क चिकित्सालय, निःशुल्क शिक्षा आदि का कार्य कर रहे हैं। निश्चित रुप से ये सारे काम और कहीं न कहीं इससे भी अच्छे काम होते हैं हमारे समाज में तो हमें केवल और केवल बुराई ही क्यों नजर आती है यह हमें सोचने की आवश्यकता है।
सीधा सा इसका उत्तर है मेरे विवेकानुसार कि हम जैसा विचार करते हैं,देखते और सुनते हैं वैसा ही प्रभाव हमारे दिल, दिमाग और जीवन पर पड़ता है और धीरे धीरे हमारा विचार और जीवन वैसा ही हो जाता है ।
यदि बुरा सोचेंगें, बुरी तस्वीर, चलचित्र देखेंगें बुरा सुनेंगें तो हमारा जीवन भी निःसन्देह बुरा ही बनेगा और इसके विपरीत अच्छी बातों की चर्चा करेंगें, अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करेंगे, अच्छी तस्वीर चलचित्र देखेगें तो उसका सकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर होगा और हमारा जीवन निश्चित ही अच्छाई की तरफ अग्रसर होगा ।
दोनों विकल्प हमारे सामने हैं और चुनना भी हमें ही है कि हम किस रास्ते पर चलेंगें, रही बात समाज में फैलते बुराइयों की तो सभी लोग सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि माध्यमों से जानकारी प्राप्त कर ले रहे हैं तो हम बुराइयों की चर्चा कर अपने मन मस्तिष्क को दूषित क्यों करें?
यदि हमें लोगों के मध्य वार्तालाप करना है तो अच्छाई की करें, शुभ घटनाओं की करें स्वयं अच्छाई की तरफ अग्रसर हों और दुसरों को भी प्रेरित करें तभी स्वस्थ समाज का निर्माण सम्भव होगा ।
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