मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इसे समयानुसार हम उम्र,बड़े, छोटे सबसे बात करना पडता है। सामान्यतः अपने समकक्ष वालों से बातें करना सहज और अच्छा प्रतीत होता है, इसका मुख्य कारण है कि समकक्ष उम्र के व्यक्ति एक दुसरे की भावनाएं , समस्याएं भली भांति समझ सकते हैं। हम अपने समान उम्र वालों के साथ हंसी ठीठोली करके इस तनाव भरे जीवन का कुछ पल खुशनुमा वातावरण में व्यतीत कर सकते हैं।
हम जिससे भी बात करें वह हम उम्र हो, बड़ा हो या छोटा वार्तालाप में हमें कुछ सावधानी भी रखनी चाहिए , जैसे यदि हम किसी विशेष उद्देश्य/विन्दु पर बात करने के उद्देश्य से मिले हैं तो उससे न भटकें,यदि सामान्य वार्तालाप उद्देश्य है तो हमें अपनी रुचि की बातों के साथ सामने वाले की रुचि का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उसे भी अपनी भावनाएं प्रकट करने का अवसर देना चाहिए। यदि हम केवल अपने मन और रुचि की बातें बोलते जा रहे हैं तो सामने वाला व्यक्ति बहुत जल्द उब जायेगा और हमसे पीछा छुडाने की युक्ति खोज कर हमसे दुर भाग निकलेगा और हमारे पीठ पीछे समाज में अपने मन की व्यथा/भडास निकालेगा और सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि हम ऐसी वाणी का उपयोग करें सामने वाले के आत्म सम्मान किसी प्रकार आहत न हो ।
इसलिए किसी से भी वार्तालाप करते समय हमारी बुद्धिमत्ता इसी में है कि हम सामने वाले के सम्मान और रुचि का भी ध्यान रखें ।
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