अभिजीत मिश्र

Welcome to Suvichar Sangrah सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है :- प्रदीप कुमार पाण्डेय. This is the Only Official Website of सुविचार संग्रह     “Always Type www.suvicharsangrah.com . For advertising in this website contact us suvicharsangrah80@gmail.com.”

Tuesday, September 8, 2020

दुःख का मूल अपेक्षा


बहते हुए जल धारा के जैसे दो किनारे होते हैं उसी प्रकार मानव जीवन के भी दो किनारे होते हैं आशा और निराशा। जब हम स्वयं को छोड़ दुसरों से आशा/अपेक्षा करते हैं कि वे हमारे साथ हमारे इच्छानुसार अच्छा/हमारे मनोनुकूल व्यवहार करेंगें और ऐसा होता है तो हमें खुशी मिलती है, हम सुख का अनुभव करते हैं और हमारे इच्छा के विपरीत व्यवहार करते हैं तो हमें क्रोध आता है, हम कष्ट महसूस करते हैं/ निराश होते हैं।

              हम दुसरों से जितना आशा रखेंगें हमें उतना ही कष्ट होगा, हम दुःखी रहेंगे। यदि हमें सुखी और खुश रहना है तो हमें दुसरों से आशा नहीं करनी चाहिए।

               यदि हम दुसरों से आशा/अपेक्षा रखते हैं तो हमें यह सोचकर रखना होगा कि काम हमारे इच्छानुसार हुआ तो भी ठीक और न हुआ तो भी ठीक।

              संक्षेप में यदि कहें तो सुखी जीवन का एक मन्त्र अपनाना होगा -- "ना किसी से अपेक्षा न किसी की उपेक्षा।"

1 comment: