आज के परिवेश में मोबाईल एक आवश्यक वस्तु बन गयी है और लगभग हर एक हाथ में स्मार्ट मोबाईल देखा भी जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन्सान को इसकी लत सी लग गयी है । इन्सान को इसकी लत इस तरह लग गयी है कि यह मोबाइल इन्सान को इन्सान से दुर करता जा रहा है और यह दुरी परिवार में भी देखी जा सकती है । इन्सान भावनात्मक रुप से एक दुसरे से कितना दुर होता जा रहा है यह हर परिवार में देखा जा सकता है । यह व्यसन इन्सान पर इस कदर छा गया है कि वह मोबाईल की लत में अपने बच्चों को भी नजर अन्दाज करता जा रहा है ।
इतना ही नहीं मोबाइल का दुष्प्रभाव इतना बढ गया है कि यह घरों में कलह का प्रमुख माध्यम हो गया है क्योंकि घर की बहुएं छोटी से छोटी बात भी तुरन्त अपने पीहर अपने माता पिता तक पहुँचा देती हैं और उनकी सलाह पर दोनों परिवारों की परिस्थितियों में भिन्नता का आकलन किये बिना ही अपने ससुराल में व्यवहार करने लगती हैं।
मानव द्वारा निर्मित यह निर्जीव वस्तु मानव को अपने वस में करके मानव को खिलौना बना दिया है अब समय की माँग है कि मानव द्वारा निर्मित इस निर्जीव वस्तु के व्यसन से हम सब दुर हों और इसका कम से कम आवश्यकतानुसार मर्यादित उपयोग करें।
यदि हम ऐसा नहीं किये तो मानव एक निर्जीव वस्तु का खिलौना बन कर रह जायेगा और इन्सान को ही नहीं बल्की परिवार, समाज और सम्पूर्ण राष्ट्र या कहें तो सम्पूर्ण मानव समाज को इसका गम्भीर परिणाम भोगते हुए बहुत बड़ा मुल्य चुकाना पडेगा ।
(इस लेख का अपवाद सम्भव है)
Bilkul Sahi bole Sir jee 👌🏼🙏💯 % Right
ReplyDeleteधन्यवाद
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