अभिजीत मिश्र

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Wednesday, October 14, 2020

परिवार के बुजुर्ग हमारे सबसे बडे धरोहर हैं।


एक दो दशक पहले तक संयुक्‍त परिवार की प्रथा हमारे भारतीय समाज में थी, परिवार में बड़े बुजुर्ग को अत्यंत सम्मान दिया जाता था उन्हें एक बड़े धरोहर के रुप में परिवार के सदस्य रखते थे। उनके द्वारा पुरे परिवार का संरक्षण व मार्गदर्शन प्राप्त होता था। 

           हमारे परिवार के बुजुर्ग सदस्य वो बट वृक्ष हैं जो धन रुपी फल भले ही न दें लेकिन संस्कार, मार्गदर्शन और प्यार रुपी छाया अवश्य देते हैं।

            लेकिन दुर्भाग्य है हमारा कि वर्तमान परिवेश में अधिकांश परिवार के बुजुर्ग को धरोहर के रुप में न देख‌कर एक रद्दी के रुप में‌ देखा जाने लगा है जिसे परिवार से बाहर वृद्धश्रम रुपी कुडा पात्र में फेंका जाने लगा‌ है।

           अपने जीवन को दाव पर लगा कर हमें पालने पोसने वाले इन बुजुर्गों को धन की लालसा नहीं होती, अपने प्यार और मार्गदर्शन से हमें सिंचित करने वाले परिवार के इन बुजुर्ग सदस्यों को प्यार और सम्मान की आवश्यकता होती है लेकिन उन्हें इसके बदले उपेक्षा और तिरस्कार दिया जा रहा है।

               जिस परिवार में बुजुर्गों का सम्मान होता है वह निःसन्देह उनके आर्शीवाद और मार्गदर्शन से आगे बढता है।

            परिवार के बुजुर्ग का अपमान करके उन्हें वृद्धाश्रम भेज कर हम स्वयं अपने हाथों अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारते हुए अपने बच्चों कों प्यार, आर्शीवाद, संस्कार और स्नेह भरे स्पर्श से दुर कर दे रहे हैं जो हमारे बच्चों के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

               हमें यह सदैव याद रखना होगा कि पैसे से हमें दिखावटी प्यार ही मिल सकता है लेकिन आशीर्वाद, संस्कार, वास्तविक प्यार हमें अपने परिवार के बुजुर्ग ही दे सकते हैं।

 

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