अभिजीत मिश्र

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Thursday, November 12, 2020

धनतेरस/धनवन्तरी दिवस विशेष

सम्पूर्ण हिन्दुस्थान में सनातनी/हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग धनतेरश का पर्व दीपावली के दो दिन पहले कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। धनतेरश का पर्व भगवान धन्वन्तरि जिन्हें श्री हरि भगवान विष्णु का अवतार और आयुर्वेद का जनक माना जाता जो कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे । भगवान धनवन्तरी आरोग्य के देवता हैं इन्हीं के सम्मान में कृतज्ञता प्रकट करने, और सम्पूर्ण मानव जाति को निरोगी रखने की याचना के साथ पुजा अर्चना करके मनाये जाने का विधान है ।

              समय के साथ साथ लोगों की धारणा बदली और हम लोग इसे धन (रुपये) से जोडने  लगे और यह धारणा बनती गयी कि इस दिन वर्तन और आभुषण खरीदने से पुरे वर्ष भर समृद्धि बनी रहेगी। गे लेकिन हम भुल गये कि वास्तविक धन तो हमारा स्वास्थ्य है।

            गहने और बर्तन खरीदने की परम्परा को भी माना जाय तो इस महंगाई के समय में सभी के लिए सोना चाँदी आदि खरीद पाना सम्भव नहीं है ऐसी दशा में विद्वानगण के अनुसार इसके विकल्प के रुप में निम्न बस्तुओं को खरीदनें की मान्यता है---

झाडू---- झाडू को लक्ष्मी माना जाता है इसलिए मान्यता है कि धनतेरश के दिन झाडू खरीद कर घर लाना घर लक्ष्मी लाने के समान है और झाडू घर की गन्दगी भी दुर करता है जिससे घर की नकारात्मकता दूर होती है।

जौ--- विद्वानों के मतानुसार  जौ को सोने के समान माना गया है अतः इस दिन जौ घर लाना सोना घर लाने के समान है ।


अक्षत--- धनतेरस के अक्षत अर्थात चावल खरीद कर घर लाना भी बहुत शुभ माना गया है ।


धनिया----- धनिया धन को बढाता है ऐसी मान्यता होने के कारण धनतेरस के दिन धनिया खरीदना भी अत्यंत शुभ माना गया है।

भगवान धनवन्तरी से सम्पूर्ण जगत के कल्याण निरोगी और दीर्घ जीवन की मंगल प्रार्थना के साथ आप सभी को धनवन्तरी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।



 

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