अभिजीत मिश्र

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Tuesday, November 3, 2020

बढता मानसिक रोग गम्भीर संकेत

२१वीं सदी तकनीक और मशीन की सदी है और इस परिवेश में मानव भी मशीन सा हो गया है मशीनों को तो समय समय पर देख भाल और मरम्मत के लिए बन्द भी किया जाता है लेकिन मनुष्य रुपी मशीन भौतिक संसाधनों के संग्रहण और असीम इच्छा पुर्ती के लिए धनार्जन में दौडता जा रहा है और बस दौड़ता ही जा रहा है। उसके पास न स्वयं के लिए समय है और ना ही अपनों के लिए जिसका परिणाम समय से पहले शारीरिक कमजोरी/बीमारी के साथ ही मनुष्य मानसिक रुप से भी बहुतायत संख्या में बीमार होने लगा है। आलम तो यहाँ तक होता नजर आ रहा है कि मानसिक बीमारी जितनी तेजी से बढ रही है अन्य बीमारियां बहुत जल्दी पीछे छुट जायेंगीं इन मानसिक बिमारों में कुछ ही चिकित्सक के पास पहुँच पाते हैं और अधिकांश तो समझ ही नहीं पाते अपनी मानसिक अस्वस्थता के बारे में । जितनी तेजी से मानसिक रोगी बढ रहे हैं वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब कारागार और अन्य चिकित्सक की अपेक्षा मानसिक चिकित्सक और पागलखानों की आवश्यकता होगी ।

                 बढते अपराधों के पीछे मानसिक बीमारी का भी योगदान नकारा नहीं जा सकता है ।

                   इसका प्रमुख कारण हमारी अस्त व्यस्त जीवन चर्या है।

                   सामाजिक संगठनों और सरकार का ध्यान अशिक्षा,गरीबी, अपराध,बढती जनसंख्या, अन्य रोगों पर तो है लेकिन तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारी की तरफ शायद बिल्कुल ही नहीं है जो इन सबसे भयावह रुप लेने की तरफ अग्रसर है ।  

                  इस गम्भीर समस्या पर समाज के वरिष्ठ, सक्षम व्यक्तियों और सरकार को ध्यान देना होगा साथ ही हम सब को जागरुक होते हुए कुछ समय अपने लिए निकालना होगा, जिसमें योग प्राणायाम, कुछ स्वस्थ और मनोरंजक साहित्य/संगीत और परिवार के खुशनुमा माहौल में हम समय देकर अपने तनाव को  कम करके मानसिक रोगी होने से बच सकते हैं।

 

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