अकेलापन क्या होता है, अकेले रहने पर कैसा महसूस होता है क्या हमने/आज की युवा पीढ़ी ने कभी सोचा है या जानने की कोशिश की है??
शायद नहीं!
यदि अकेलेपन और उसके दर्द/एहसास को समझना है तो कभी घर के उस अकेले बुज़ुर्ग से पूँछना होगा, जिसे पूरी रात नींद नहीं आती है और हम पूरी रात आराम से सोते हैं और सुबह उठकर बड़े आराम से उन्हें कहते हैं कि पूरी रात नहीं सोते हैं, पता नहीं क्या करते रहते हैं?
हमारे युवा और मजबूत हाथ जिन जिम्मेदारियों को निभाते व सँभालते अभी भी कँपकँपाते हैं उन बूढ़े हाथों से हमें पूँछना चाहिए कैसे वो आज भी बेझिझक और बेहिचक उन ज़िम्मेदारियों को खुशी-खुशी उठाते हैं ।
हमारे बीच मे से अधिकांश लोग ऐसे होंगे जिनके पास समय ही नहीं होता है अपने बुज़र्गो से बात करने के लिए, क्योंकि हमारे दृष्टिकोण से तो वे पुराने ज़माने और पुराने ख्याल के हैं और बेवजह की सलाह देते हैं साथ ही वो कमजोर भी हो चले हैं इसलिए उनसे क्या और क्यों बात करनी ???
यही नहीं कुछ लोग तो अपने बड़े -बुजुर्गों को धमका कर या घूर कर चुप भी करा देते हैं ।
वो बूढे माँ-बाप जो खुशी-खुशी पूरी उम्र हमारी बक बक सुनते है, उन्हीं से दो बात करने के लिए अब हमारे पास समय नहीं होता है क्योंकि हम ठहरे युवा और आधुनिक और उन्हें हमसे वही घिसी-पिटी बातें जो करनी हैं ।
हमें सोचना चाहिए बुज़र्ग किससे अपने मन की बात करें, किससे अपनी पीड़ा बतायें ? वो तो २४ घंटे खाली हैं, कहाँ जायें क्योंकि उम्र ज्यादा होने से वो ठीक से चल भी नहीं सकते । कौन उनका सहारा बने ?? क्योंकि वो दूसरों पर निर्भर हो चुके हैं।
उनके मरने के बाद हम पूजा पाठ करवाते हैं, गाय, कुत्ता कौआ आदि को ग्रास निकालते हैं, बड़े कार्यक्रम का आयोजन करते है, सभी को बुलाते हैं, अच्छे से अच्छा खाना खिलाने का प्रयास करते हैं और पूरे दिन उस बुज़र्ग के लिए बैठते हैं, काश उनके जीते जी हम उनको अच्छे से अच्छा खिलाने का प्रयास करते हम उनके पास बैठते तो उनकी आत्मा तृप्त होती और कुछ दिन अधिक शायद जीवित रहते ।
No comments:
Post a Comment