अभिजीत मिश्र

Welcome to Suvichar Sangrah सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है :- प्रदीप कुमार पाण्डेय. This is the Only Official Website of सुविचार संग्रह     “Always Type www.suvicharsangrah.com . For advertising in this website contact us suvicharsangrah80@gmail.com.”

Monday, February 13, 2023

१४ फरवरी/वेलेंटाइन डे:-








वेलेंटाइन डे - भारतीय संस्कृति के साथ युवाओं का चारित्रिक पतन

वेलेन्टाइन डे वह दिन है जिस दिन हमारे युवा मित्र(युवक/युवतियां) अर्थी निकालते हैं अपने माता-पिता/परिवार के संस्कारों और भारतीय संस्कृति का ।

ऐसे त्यौहार या उत्सव भारतीय नहीं हैं जो अपने परिवार और माता पिता के संस्कारों को बीच चौराहे पर नीलाम कर दें। यह पर्व आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य सभ्यता के बढते प्रभाव व भारतीय संस्कृति और सभ्यता के पतन को दर्शाता है ।

यह पर्व एक क्षण या अधिकाधिक एक दिन का आनन्द दे सकता है और इस आनन्द का परिणाम शायद गर्भपात की दवाई की बिक्री में वृद्धि,गैर कानुनी तरीके से गर्भपात करने वाले लोगों की आय में वृद्धि, कुछ महिनों बाद सडकों,नालों, कुडे के ढेरों में मिलने वाले अबोध बच्चों की संख्या में वृद्धि के रुप मे सामने आवे । यह भी सम्भव है युवतियों का अश्लील वीडियो बना उनसे रोज अनैतिक कार्य करवाया जाय फिर या तो वो ये काम करती रहेंगी या आत्महत्या कर लेंगी ।

             ऐसे युवक-युवतियां कभी भी अपने परिवार या अपने राष्ट्र का मान नही बड़ा पाएँगे।

        क्या इसे ही कहते हैं प्यार ?? थूकता हूँ ऐसे पर्व पर ऐसे प्यार पर। यह अंग्रेजो कि औलादो वाला त्यौहार है मै इसका पूर्ण रूप से बहिष्कार करता हूँ।

           मैं जानता हूँ यह लेख पढने के बाद कुछ लोग मुझ पर भी अंगुलियाँ उठाएंगे, मुझे असामाजिक या निरश कहेंगे, यह भी कहेंगे मैने कभी अपने जीवन में प्यार नहीं किया ।

             यदि भारतीय संस्कृति और युवाओं का चारित्रिक पतन करते पर्व का विरोध करना असामाजिकता और निरशता है तो मैं इसे स्वीकार करता हुँ, स्वीकार करता हुँ मैने अपने जीवन में कभी प्यार नहीं किया पाश्चात्यिकरण और आधुनिकीकरण के नाम चारित्रिक पतन से, लेकिन साथ ही यह भी कहता हुँ मैने प्यार किया है --

                मैने भी किया है प्यार अपने माता पिता से,उनसे प्राप्त संस्कारों से,अपने परिवार से,अपने धर्म से,अपनी संस्कृति से,अपने राष्ट्र से, अपने आराध्य से.......

 इस लेख में कुछ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग है जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हुँ लेकिन इस लेख का उद्देश्य अश्लीलता फैलाना, अराजकता फैलाना या किसी की भावना को ठेस पहुँचाना नहीं है, फिर भी किसी को ऐसा प्रतीत होता है तो वह मुझे ब्लाक कर दे।

No comments:

Post a Comment