खुद के परिश्रम और पुरुषार्थ के अभाव में जीवन की उन्नति एवं उत्थान के रसस्ते स्वयं अवरूद्ध ही नहीं बंद हो जाते हैं। दूसरे हमें केवल सलाह दे सकते हैं लेकिन उस पर चलना स्वयं हमें ही है। केवल हम ही इस दुनिया में खुद की किस्मत बदल सकते हैं। मात्र हम ही अपने चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकते हैं एवं केवल हम ही हैं जो स्वयं अपने जीवन को सुखी और आनंदमय बना सकते हैं।
हमारी किसी भी समस्या का श्रेष्ठ हल हमारे खुद के अतिरिक्त किसी अन्य के पास नहीं हो सकता है। केवल हम स्वयं अपनी प्रत्येक समस्या का हल ढूँढ सकते हैं और अपने जीवन को एक आदर्श जीवन बना सकते हैं। गहराई से मनोमंथन करने पर हमें अनुभव होगा कि हमारे अतिरिक्त कोई और नहीं है जो हमाते जीवन को सुखमय एवं आनंदमय बना सकता है क्योंकि दूसरे केवल मार्ग दिखायेंगे, चलना हमें स्वयं ही पड़ेगा।
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